साइंस स्ट्रीम से 10+2 कर रहे स्टूडेंट से पूछा जाने वाला सबसे कॉमन सवाल है बेटा आगे क्या करना है एमबीबीएस या इंजीनियरिंग क्योंकि इंडियन पेरेंट्स को लगता है कि अगर आपने इंजीनियरिंग कर ली तो आपका करियर और लाइफ दोनों सेट हो जाएंगे क्योंकि इंजीनियर बनने पर आपका बजट अच्छा खासा होता है फॉरेन में सेटल होने का मौका मिल सकता है और प्रेस्टीज वाला फैक्टर तो है ही
MBBS के साथ भी ना कुछ ऐसा ही है पैसा और रुतबे के साथ-साथ कुछ लोग तो यह भी सोचते हैं कि लोग बीमार तो पड़ेंगे ही तो एक डॉक्टर की जरूरत तो हमेशा बनी ही रहेगी अब वजह चाहे जो भी हो लेकिन एमबीबीएस और इंजीनियरिंग के लिए सबसे जरूरी होता है स्टूडेंट का इंटरेस्ट और उसकी कैपेबिलिटीज तो आज बात होगी NEET की जो है गेटवे ऑफ एमबीबीएस इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि नीट क्वालीफाई करने के बाद मेडिकल कॉलेज चूज करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि पिछले साल 20 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स ने नीट दिया था जिनमें 11 लाख से ज्यादा फीमेल और 9 लाख से ज्यादा मेल स्टूडेंट्स थे और यह सभी देश भर में मौजूद 130000 एमबीबीएस बीडीएस सीट्स के लिए कंपीट कर रहे थे
नीट का रिजल्ट आने के कुछ ही दिनों में गवर्नमेंट कॉलेजेस के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है इसमें सभी क्वालिफाइड स्टूडेंट्स को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के लिए अपनी चॉइस फिल करनी पड़ती है चॉइस फिल करने से पहले स्टूडेंट्स को टॉप कॉलेजेस की रैंकिंग के अकॉर्डिंग उनके बारे में पता कर लेना चाहिए और फिर डिसेंडिंग ऑर्डर में अपनी चॉइस फिल करनी पड़ती है
जहां तक बात है काउंसलिंग की तो Directorate General of Health Sciences (DGHS) उन स्टूडेंट्स की काउंसलिंग करता है जिन्होंने नीट कट ऑफ हासिल किया है नीट मार्क्स का 50% पर ऑल इंडिया कोटा के लिए और 85% स्टेट कोटा एमबीबीएस सीट्स के लिए यूज होता है हर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का 15 %पर एआई क्यू कोटा के लिए रिजर्व्ड रहता है और 85% पर सीट्स उन स्टूडेंट्स को मिलते हैं जो एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करते हैं
इसके बाद जब आप एडमिशन लेने जाएंगे तो कॉलेज की रेपुटेशन एक्रेडिटेड फैकल्टी एक्सपर्टीज इंफ्रास्ट्रक्चर और लोकेशन जैसी चीजें कंसीडर करनी चाहिए करेंटली मेडिकल कॉलेजेस को National Assessment and Accreditation Council (NAAC) ने द्वारा मान्यता दी जाती है यह सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा प्रूव्ड बॉडी है जो हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस का मूल्यांकन करती है तो आप यह जरूर चेक कर लीजिएगा कि आपका कॉलेज एनएएसी से मान्यता प्राप्त है या नहीं
गवर्नमेंट कॉलेज अलॉट हो जाने के बाद या प्राइवेट कॉलेज में आप एडमिशन ले रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखने से आप एक अच्छा मेडिकल कॉलेज चूज कर सकते हैं अब यह समझ लेते हैं
Attention Should be Paid to Personal Goals and Preferences सबसे पहले कैंडिडेट को अपने पर्सनल गोल्स और प्रेफरेंसेस पर ध्यान देना चाहिए जैसे कॉलेज का साइज पढ़ाने का तरीका स्पेशलाइजेशन के क्या-क्या ऑप्शंस अवेलेबल हैं रिसर्च फैसिलिटी है या नहीं एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज करवाई जाती है या नहीं वगैरह वगैरह जब उस कॉलेज की फैसिलिटी आपकी उम्मीद के मुताबिक हो तो आप एडमिशन के लिए आगे बढ़ सकते हैं
किसी भी कॉलेज के बारे में पता करने के लिए सबसे पहले तो हम उसकी वेबसाइट पर जाते हैं और जरूरी डिटेल्स पढ़ते हैं या प्रोस्पेक्टस फॉलो करते हैं पर यहीं तक अपनी नॉलेज को सीमित मत रखिएगा अगर आपकी जान पहचान में कोई मेडिकल प्रोफेशनल है कोई मेंटर टीचर या करियर काउंसलर है तो आप उनकी मदद ले सकते हैं अगर आपको उसी कॉलेज से पासआउट कोई डॉक्टर या एक्स एलुमनाई मिल गया तो उससे कॉलेज के बारे में फीडबैक लेना सबसे सही रहेगा पर्सनल एक्सपीरियंस से सच्चाई का पता ज्यादा लग पाता है वहीं बहुत से स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स सीधे कॉलेज विजिट करते हैं जो एक सही सोच है क्योंकि कॉलेज की वेबसाइट पर या कॉलेज के प्रोस्पेक्टस में कॉलेज के बारे में हमेशा अच्छा ही लिखा रहता है
अगर डिस्टेंस वाइज कॉलेज आपकी पहुंच में है तो सीधे पहुंच जाइए और कॉलेज कैंपस इंफ्रास्ट्रक्चर वहां के लैब्स ट्रेनिंग प्रोग्राम हॉस्टल लाइफ और एमबीबीएस कर रहे स्टूडेंट्स का रियल एक्सपीरियंस आपको कॉलेज के बारे में सब कुछ बता देगा कॉलेज की सेफ्टी भी काफी ज्यादा मैटर करती है स्पेशली फीमेल स्टूडेंट्स के लिए इसलिए कॉलेज कहां है जहां कॉलेज बिल्डिंग है वहां का एरिया कैसा है आसपास की कनेक्टिविटी कैसी है पुलिस स्टेशन पास है या नहीं रोड और रेल कनेक्टिविटी सही है या नहीं यह सारी बातें भी ध्यान में रखनी जरूरी है चाहे प्राइवेट हो या गवर्नमेंट कॉलेज इंडियन मेडिकल कॉलेजेस में रैगिंग भी होती है तो आपके कॉलेज में एंटी रैगिंग सिस्टम और हेल्पलाइन है या नहीं इसे भी जहन में रखिएगा
जब भी आप हायर एजुकेशन को जाए तो चाहे इंजीनियरिंग कॉलेज हो या मेडिकल या कोई और डिग्री अपना इंस्टीट्यूट कॉलेज या यूनिवर्सिटी को चूज करते टाइम उसकी एनआईआरएफ रैंकिंग को भी जरूर से चेक करें मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन देश में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआईआरएफ रैंकिंग देती है जैसे पिछले साल मेडिकल कॉलेजेस की एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग्स 2023 में टॉप 50 कॉलेजेस के नाम थे इनमें टॉप फाइव में थे एम्स दिल्ली, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज बंगलोर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस बेंगलुरु, और जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पॉन्डिचेरी
एनआईआरएफ रैंकिंग देने के लिए गवर्नमेंट की ओर से कुछ पैरामीटर्स भी तय किए गए हैं हम यहां पर कुछ इंपॉर्टेंट एस्पेक्ट्स का जिक्र कर रहे हैं जैसे टीचिंग लर्निंग एंड रिसोर्सेस में स्टूडेंट स्ट्रेंथ फैकल्टी स्टूडेंट रेशो इनेंशियल रिसोर्सेस और उनका यूटिलाइजेशन वगैरह चेक होता है रिसर्च एंडप्रोफेशनल प्रैक्टिस में क्वालिटी ऑफ पब्लिकेशंस और प्रोजेक्ट्स एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस को ध्यान में रखा जाता है ग्रेजुएशन आउटकम्स यूनिवर्सिटी में होने वाले एग्जामिनेशन और कितने स्टूडेंट्स ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की है यह भी देखा जाता है आउटरेज एंड इंक्लूसिव में परसेंटेज ऑफ स्टूडेंट्स फ्रॉम अदर स्टेट्स कंट्रीज परसेंटेज ऑफ वुमेन इकोनॉमिकली एंड सोशली चैलेंज्ड स्टूडेंट्स फैसिलिटी फॉर फिजिकली चैलेंज्ड स्टूडेंट्स कॉलेज को लेकर लोगों की क्या परसेप्शन है और कितने एंप्लॉयज काम कर रहे हैं यह भी देखा जाता है
किसी अच्छे कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले स्टूडेंट्स कई बार फ्रॉड का शिकार भी हो जाते हैं देश भर में ऐसे फ्रॉड रैकेट्स चलाने वालों को पुलिस पकड़ती भी है फिर भी ऐसे नेटवर्क्स एक्टिव है जो पैसे वाले स्टूडेंट्स को अपना टारगेट बनाते हैं जैसे 2023 में मुंबई पुलिस ने एक बंदे को अरेस्ट किया था जिसने एक स्टूडेंट को टोपी वाला नेशनल मेडिकल कॉलेज मुंबई में एडमिशन दिलाने के नाम पर ₹1 लाख हड़प लिए थे इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो देश भर के अलग-अलग जगहों से फ्रॉड के ऐसे ढेरों केसेस आपको मिल जाएंगे तो अपनी काबिलियत पर भरोसा रखिए और मेरिट के जरिए ही एडमिशन लीजिए क्योंकि पैसे का जोर लगाकर आगे बढ़ने वाले अक्सर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं फिर टाइम और पैसा तो बर्बाद होता ही है लीगल केसेस में करियर भी खराब हो जाता है
किसी भी हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट को अच्छा तभी माना जाता है जब वह एजुकेशन के साथ-साथ स्टूडेंट्स के लिए ऑल राउंड फैसिलिटी दें अपने लिए एमबीबीएस कॉलेज ढूंढते हुए वहां पर वेल इक्विप्ड लाइब्रेरी लेबोरेटरी हॉस्टल फैसिलिटी स्पोर्ट्स फैसिलिटी और जरूरी एसेंशियल एमेनिटीज हैं या नहीं उन्हें जरूर कंसीडर कर लिया जाएगा वैसे एनआईआरएफ रैंकिंग में रहने वाले इंस्टीट्यूट्स को प्रीमियम माना जाता है तो वहां पर यह सुविधाएं होंगी ही पर आपका कॉलेज एनआईआरएफ रैंकिंग से बाहर है तो इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए ही उसमें एडमिशन लेना अकल मंदी होगी
हालांकि डिमांडिंग स्केड्यूल एक्सटेंसिव कोर्स वर्क और क्लिनिकल रोटेशंस होने के चलते एमबीबीएस स्टूडेंट्स को फ्री टाइम बहुत ही कम मिल पाता है पर फिर भी खुद को मेंटली और फिजिकली फिट रखने के लिए फिजिकल एक्टिविटीज योग और अपनी पसंद के स्पोर्ट्स में इवॉल्व रखना एक सही डिसीजन है आईआईटी की तरह ही एमबीबीएस में भी नीट की तैयारी से लेकर के ड्यूरिंग द कोर्स स्टूडेंट्स को बहुत पढ़ाई करनी पड़ती है जिससे उन्हें बहुत मेंटल स्ट्रेस झेलना पड़ता है और अनफॉर्चूनेटली बहुत से स्टूडेंट्स सुसाइड जैसे गलत कदम भी उठा लेते हैं हालांकि इसका परसेंटेज बहुत ही कम है फिर भी इसे रोकने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने 15 मेंबर वाला एक नेशनल टास्क फोर्स बनाया है ताकि ये पता लगाया जा सके कि मेडिकल स्टूडेंट्स में डिप्रेशन और सुसाइड के केसेस क्यों बढ़ रहे हैं तो अगर आप नीट या एमबीबीएस की तैयारी कर रहे हैं तो डे वन ही ऐसी चीजों को हैंडल करने का माइंडसेट अपने अंदर रखना होगा सही काउंसलिंग और गाइडेंस से ऐसी प्रॉब्लम्स को दूर किया जा सकता है इसलिए मेडिकल कॉलेज को चूज करते हुए आपको यह भी देखना चाहिए कि स्टूडेंट्स के लिए वहां पर एंटी प्रेशन या एंटी सुसाइडल प्रोग्राम है या नहीं
अगर आपने प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लिया है तो अपनी अटेंडेंस पर ध्यान दीजिएगा क्योंकि फाइनल एग्जाम के लिए सेमेस्टर के मार्क्स और अटेंडेंस का परसेंटेज दोनों अच्छे होने चाहिए नहीं तो सकता है कि आपको यूनिवर्सिटी एग्जाम में बैठने ही ना दिया जाए और तो और कई बार सेंट अप या सप्लीमेंट्री एग्जाम के लिए भी डिसक्वालीफाई कर दिया जाता है तो एडमिशन के समय मिनिमम सेमेस्टर मार्क्स और परसेंटेज ऑफ अटेंडेंस के बारे में जरूर से पूछ लीजिएगा
तो How to Choose Medical Colleges after NEET? को लेकर लगभग सभी मेजर एस्पेक्ट्स डिस्कस हो गए हैं उम्मीद है कि एक स्टूडेंट और गार्डियन के तौर पर आपको काफी क्लेरिटी मिल गई होगी